ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी जिसे ईश्वर ज्ञात नहीं, उस विज्ञान की सीमाएं ! ‘आजकल हम जिसे ‘विज्ञान’ अर्थात ‘विशेष ज्ञान’ कहते हैं, वह ‘विगतं ज्ञानं यस्मात्’ अर्थात ‘जिससे ज्ञान निकल गया है, वह’ बन गया…
परीक्षा में मिले अंकों की तुलना में साधना के कारण निर्माण हुए सद्गुण महत्वपूर्ण !
‘परीक्षा में मिले अंकों से एक परीक्षा उत्तीर्ण कर सकते हैं। इसके विपरीत साधना से निर्माण हुए सद्गुणों से जीवन की परीक्षा उत्तीर्ण कर सकते हैं!’